शनिवार, 9 अप्रैल 2011

अन्ना हजारे के समर्थन में लेखक व संस्कृतिकर्मी भी उतरे

लखनऊ, 8 अप्रैल। जन संस्कृति मंच (जसम) के आहवान पर अन्ना हजारे के आंदोलन के समर्थन में आज जसम के संयोजक व कवि कौशल किशोर, कवि भगवान स्वरूप कटियार, बी एन गौड़, प्रतिभा कटियार, कवि वीरेन्द्र सारंग, एपवा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ताहिरा हसन व विमला किशोर, अलग दुनिया के कृष्णकांत वत्स, नाटककार राजेश कुमार, लेनिन पुस्तक केन्द्र के प्रबन्धक गंगा प्रसाद, आर के सिन्हा आदि लखनऊ के लेखक व संस्कृतिकर्मी झूलेलाल पार्क पहुँचे । इन्होंने धरना देकर भ्रष्टाचार के खिलाफ और न्याय के इस आंदोलन के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की।

इस अवसर पर हुई सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि अन्ना हजारे के आंदोलन ने साबित किया है कि हम जिन्दा हैं। अन्याय व लूट से इस देश को बचाने और सŸाा के विरुद्ध प्रतिरोध की हमारी क्षमता खत्म नहीं हुई है। देश की जनता को एक ईमारदार व न्यायपूर्ण व्यवस्था चाहिए। सरकारी लोकपाल नहीं बल्कि जनलोकपाल चाहिए। जनता को ऐसा राजनीतिक तंत्र चाहिए जो उसके प्रति जवाबदेह हो। पर यह तो ऐसा तंत्र है जो लूट व भ्रष्टाचार की संस्कृति पर टिका है।

वक्ताओं ने नागार्जुन की कविता का हवाला देते हुए कहा कि जेपी आंदोलन के समय इंदिरा गाँधी को निशाना बनाते हुए बाबा ने कहा था कि ‘हे देवि, तुम तो काले धन की वैशाखी पर टिकी हुई हो’ और ‘लूटपाट के काले धन की करती है रखवाली, पता नहीं दिल्ली की रानी गोरी है या काली’, पर मनमोहन सिंह की सरकार तो घोटालों के पहाड़ पर बैठी है और कालेधन की संरक्षक बन गई है। देश के बड़े हिस्से से इसने सामान्य लोकतंत्र का भी अपहरण कर लिया है। अन्ना के आंदोलन से ये सारे सवाल बहस के केन्द्र में आ गये हैं।

शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

जनविरोधी अर्थनीति और भ्रष्ट राजनीति के खिलाफ आंदोलन जारी रहेगा : जन संस्कृति मंच

जन संस्कृति मंच


जन लोकपाल विधेयक बनने से भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को बल मिलेगा: प्रो. मैनेजर पांडेय

दिल्ली, उत्तर प्रदेश और पटना में आज जसम से जुड़े लेखक-संस्कृतिकर्मी भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में शामिल हुए


प्रकाशनार्थ/ प्रसारणार्थ
नई दिल्ली: 8 अप्रैल
जन लोकपाल विधेयक लागू करने के सवाल पर आज जन संस्कृति मंच के अध्यक्ष प्रो. मैनेजर पांडेय के नेतृत्व में लेखकों, कलाकारों, संस्कृतिकर्मियों, पत्रकारों और बुद्धिजीवियों का समूह जंतर-मंतर पहंुचा और पिछले तीन दिन से जारी श्री अन्ना हजारे के आंदोलन के प्रति अपना समर्थन जताया। जन संस्कृति मंच से जुड़े कलाकारों ने इसी तरह उत्तर प्रदेश के लखनऊ और गोरखपुर समेत कई दूसरे शहरों और बिहार की राजधानी पटना में इस भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में आज शामिल हुए। जंतर मंतर पर इस आंदोलन में शिरकत करने वालों में जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. मैनेजर पांडेय, राष्ट्रीय महासचिव प्रणय कृष्ण, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कवि मंगलेश डबराल, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कवयित्री शोभा सिंह, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कवि मदन कश्यप, कवि-पत्रकार अजय सिंह, कहानीकार अल्पना मिश्र, कवि रंजीत वर्मा, द गु्रप संस्था के संयोजक फिल्मकार संजय जोशी, संगवारी नाट्य संस्था के संयोजक कपिल शर्मा, युवा चित्रकार अनुपम राय, रंगकर्मी सुनील सरीन, संस्कृतिकर्मी सुधीर सुमन, श्याम सुशील, मीडिया प्रोफेशनल रोहित कौशिक, संतोष प्रसाद और रामनिवास आदि प्रमुख थे। लेखक-संस्कृतिकर्मियों ने जंतर मंतर पर उपस्थित जनसमूह के बीच पर्चे भी बांटे।
इस मौके पर जसम अध्यक्ष प्रो. मैनेजर पांडेय ने कहा कि इस देश में जिस पैमाने पर बड़े-बड़े घोटाले सामने आए हैं और भ्रष्टाचार जिस कदर बढ़ा है, उससे आम जनता के भीतर भारी क्षोभ है। यह गुस्सा इसलिए भी है कि कांग्रेस-भाजपा समेत शासकवर्ग की जितनी भी राजनीतिक पार्टियां हैं, वे इस भ्रष्टाचार को संरक्षण और बढ़ावा दे रही हैं। अगर यूपीए सरकार श्री अन्ना हजारे की मांगों को मान भी लेती है, तो भी भ्रष्टाचार के खिलाफ छिड़ी इस मुहिम को और भी आगे ले जाने की जरूरत बनी रहेगी।
उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर में होने वाले घोटाले पहले के घोटालों की तुलना में बहुत बड़े हैं, क्योंकि निजीकरण की नीतियों ने कारपोरेट घरानों के लिए संसाधनों की बेतहाशा लूट का दरवाजा खोल दिया है. देश के बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधनों- जमीन, खनिज, पानी- ही नहीं लोगों की जीविका के साधनों की भी लूट का सिलसिला बेरोक-टोक जारी है। राडिया टेपों और विकीलीक्स के खुलासों ने साफ कर दिया है कि साम्राज्यवादी ताकतें कारपोरेट हितों और नीतियों के अनुरूप काम करने वाले मंत्रियों की सीधे नियुक्ति करवाती हैं। सभी तरह के सवालों से परे रखी गयी सेना के उच्चाधिकारी न सिर्फ जमीन घोटालों में लिप्त पाये गये हैं, बल्कि रक्षा सौदों में भी बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होने का नियमित खुलासा हो रहा है। न्यायपालिका के शीर्ष पर विराजमान न्यायधीशों के भ्रष्टाचार में लिप्त होने की खबरें प्रामाणिक तौर पर उजागर हो चुकी हैं। कांग्रेस के कई नेता भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद अपने पदों पर जमे हुए हैं। केंद्र ही नहीं राज्य सरकारों में भी भ्रष्टाचार अपने चरम पर है। कर्नाटक में भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री भूमि घोटाले में संलिप्त हैं और पूरे प्रदेश की अर्थव्यवस्था के बड़े हिस्से जितनी अपनी अवैध अर्थव्यवस्था चलाने वाले रेड्डी बंधु सरकार के सम्मानित और प्रभावशाली मंत्री हैं। इन स्थितियों में कारपोरेट लूट और भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष करने वाले कार्यकर्ताओं को लाठी-गोली का सामना करना पड़ रहा है, उन्हें देशद्रोही बताकर जेलों में बंद किया जा रहा है, जबकि भ्रष्टाचारी खुलेआम घूम रहे हैं।
प्रो. मैनेजर पांडेय ने कहा कि ऐसे कठिन हालात में प्रभावी लोकपाल कानून बनाने के लिए शुरू हुई भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम को और भी ऊंचाई पर ले जाने की जरूरत है, ताकि जनता की भावनाओं के अनुरूप भ्रष्टाचार से मुक्त देश बनाया जा सके।
जन संस्कृति मंच की मांग है कि 1. सरकार द्वारा तैयार किये गये नख-दंत विहीन लोकपाल कानून के मसविदे को रद्द किया जाये और भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्षरत कार्यकर्ताओं की भागीदारी से एक प्रभावशाली लोकपाल कानून बनाया जाये।
2. टाटा, रिलायंस, वेदांत और दाउ जैसे भ्रष्टाचार और कानून के उल्लंघन में संलिप्त कारपोरेट घरानों को काली सूची में डाला जाये।
3. स्विटजरलैंड के बैंकों में अपनी काली कमायी जमा किये लोगों के नाम सार्वजनिक किये जायें, काले धन की एक-एक पाई को देश में वापस लाया जाये और इसका इस्तेमाल समाज कल्याण के कामों में किया जाये। हम यह भी मांग करते हैं कि तमाम अंतरराश्ट्रीय कानूनों की आड़ में काले धन को विदेश ले जाने के सभी दरवाजे निर्णायक तौर पर बंद किये जायें।
4. आदर्श घोटाले व अन्य रक्षा घोटालों में लिप्त सैन्य अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाया जाये और उन्हें कड़ी सजा दी जाये.
5. कारपोरेट लूट और भ्रष्टाचार के लिए उर्वर जमीन मुहैया कराने वाली निजीकरण और व्यावसायीकरण की नीतियों को उलट दिया जाये।
6. कारपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए उनके दबाव में लिये गये सभी सरकारी निर्णयों की समीक्षा की जाये और उन्हें उलट दिया जाये।
जन संस्कृति मंच
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की ओर से
सुधीर सुमन द्वारा जारी